हां ये तेरी बदनसीबी है कि तू बेटी है ।
कभी घरवालों ने रोका,
कभी समाज ने टोका ।
बढाने चाहे जो कदम तूने आगे,
तो तुझे तेरे अपनो से ही मिला धोखा ।।
हां ये तेरी बदनसीबी है कि तू बेटी है ।
क्यों हो गई तू इतनी कमजोर,
कभी होता है तुझपर भावनात्मक अत्याचार,
तो कभी होती है तू हवसी दरिंदो की शिकार ।
तुझे खुद को मजबूत होना ही होगा,
वरना दबा दी जाएगी तेरी हर पुकार ।
क्योंकि ये तेरी बदनसीबी है कि तू बेटी है
क्या सच में ये तेरी बदनसीबी है कि तू बेटी है...?
कितनी बेटीयों के नाम गिनाऊं,
जिन्होंने पायी है बुलन्दीयां ।
वो भी तो बेटी थी,
फिर कैसे छू ली उन्होंने बुलन्दीयां ।।
वो रुकी नहीं, डटी नहीं, चलती गई,
क्योंकि वो बेटी हैं ।
वो लड़ी समाज से, भीडी मुश्किलों से,
क्योंकि वो बेटी हैं ।
तो तू क्यों कोने में बैठी किस्मत को कोश रही,
क्योंकि तू बेटी है...?
Happy International Women's Day
कभी घरवालों ने रोका,
कभी समाज ने टोका ।
बढाने चाहे जो कदम तूने आगे,
तो तुझे तेरे अपनो से ही मिला धोखा ।।
हां ये तेरी बदनसीबी है कि तू बेटी है ।
क्यों हो गई तू इतनी कमजोर,
कभी होता है तुझपर भावनात्मक अत्याचार,
तो कभी होती है तू हवसी दरिंदो की शिकार ।
तुझे खुद को मजबूत होना ही होगा,
वरना दबा दी जाएगी तेरी हर पुकार ।
क्योंकि ये तेरी बदनसीबी है कि तू बेटी है
क्या सच में ये तेरी बदनसीबी है कि तू बेटी है...?
कितनी बेटीयों के नाम गिनाऊं,
जिन्होंने पायी है बुलन्दीयां ।
वो भी तो बेटी थी,
फिर कैसे छू ली उन्होंने बुलन्दीयां ।।
वो रुकी नहीं, डटी नहीं, चलती गई,
क्योंकि वो बेटी हैं ।
वो लड़ी समाज से, भीडी मुश्किलों से,
क्योंकि वो बेटी हैं ।
तो तू क्यों कोने में बैठी किस्मत को कोश रही,
क्योंकि तू बेटी है...?
Happy International Women's Day
:- कुँवर अवधेश शेखावत (धमोरा )
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