Friday 7 March 2014

!! Dedicated to Daughters on International Women's Day !!

हां ये तेरी बदनसीबी है कि तू बेटी है ।

कभी घरवालों ने रोका,
कभी समाज ने टोका ।
बढाने चाहे जो कदम तूने आगे,
तो तुझे तेरे अपनो से ही मिला धोखा  ।।

हां ये तेरी बदनसीबी है कि तू बेटी है ।

क्यों हो गई तू इतनी कमजोर,
कभी होता है तुझपर भावनात्मक अत्याचार,
तो कभी होती है तू हवसी दरिंदो की शिकार ।
तुझे खुद को मजबूत होना ही होगा,
वरना दबा दी जाएगी तेरी हर पुकार ।

क्योंकि ये तेरी बदनसीबी है कि तू बेटी है
क्या सच में ये तेरी बदनसीबी है कि तू बेटी है...?

कितनी बेटीयों के नाम गिनाऊं,
जिन्होंने पायी है बुलन्दीयां ।
वो भी तो बेटी थी,
फिर कैसे छू ली उन्होंने बुलन्दीयां ।।

वो रुकी नहीं, डटी नहीं, चलती गई,
क्योंकि वो बेटी हैं ।
वो लड़ी समाज से, भीडी मुश्किलों से,
क्योंकि वो बेटी हैं ।
तो तू क्यों कोने में बैठी किस्मत को कोश रही,
क्योंकि तू बेटी है...?

Happy International Women's Day

:-  कुँवर अवधेश शेखावत (धमोरा )

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