Saturday 15 February 2014

!! Dadicated to My Big Brother (Cousin) on My 20th Birthday (1 January 2014) !!

काबिल नहीं मेरी कलम की कुछ लिखे आपके बारे में,
क्षमा चाहता हूं फिर भी लिख रहा हूं ।
सुकुं मिल रहा है लिखकर इन शब्दों की वफाओं को,
लिखना नहीं आता अभी तो लिखना सिख रहा हूं ।।

सोच रहा हूं कहां से शब्द वो लाऊं,
जो झंकारे दास्तां लिख दूं ।
इजाजत आप मुझे दे दो,
इजहारे मैं बयां कर दूं ।।

ये दुनिया है इक मेला इस मेले में कई तरह के लोग मिले,
हर तरह के मिले कुछ अच्छे तो कुछ बुरे भी मिले ।
कुछ का साथ अच्छा लगा जो आज भी साथ हैं,
और कुछ से सदा के लिए रह गए शिकवे गिले ।।

इसी मेले कि भीड़ में टकराव एक दिन आपसे हुआ,
और चल पड़े बातों के, मुलाकातों के शिलशिले ।
जिन्दगी के इस सफर में हर कोई चाहता है साथ किसी नूर का मिले,
कोशिश हमारी भी रहेगी इस सफर में मौका किसी शिकायत का ना मिले ।।

चाहता हूं हर वो फरियाद कबुल हो आपकी जो आपका दिल चाहे ।
और फरियाद पुछने खुदा खुद चलकर आपके पास आये ।।

आपके सिद्धान्तों से आप मुझे मर्यादापुरुषोत्तम राम लगे,
तो राजनैतिक वार्ताओं से राजनीति के जनक श्याम लगे ।
आपके शीतल ह्रदय के कारण, हर किसी के दिल में आदर भाव जगे,
और अगर बात करुं गुस्से की, उसका डर तो भाभीसा को भी लगे ।।

( भाभीसा )

जिन्दगी की राह के इक मोड़ पर आप इनसे इस कदर मिले,
कि पुरी कायनात में दो दिलों के एक होने का गीत गूंज गया ।
दो राही एक हुए, साथ गिरने, साथ उठने, साथ चलने के लिए,
कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया और कुछ बोझ दोनों का बंट गया ।।

सीधी-साधी राजस्थानी गुड़िया जैसी हैं आप ।
प्यारी-प्यारी जादू की पुड़िया जैसी हैं आप ।।

क्या लिखूं आपके बारे में -
चेहरे पर एक अजब की मासूमियत,
तो देखी हैं आंखों में गहराई आपके ।
पता नहीं कितना कुछ छुपा रखा है अपने अन्दर,
एक अजीब सी सच्चाई देखी है दिल में आपके ।।

लगता है जैसे किसी जिज्ञासा को मारा है आपने,
लेकिन दुःखी ना होना कभी ये सोचकर की कुछ हारा है आपने ।
मेरी नजर में तो बहुत कुछ किया है आपने,
हर कदम पर साथ रहकर भैया की राह को जो संवारा है आपने ।।

अपनों की खुशी के लिए खुद की खुशीयों को नकारा है आपने,
क्योंकि हर रिस्ते की महता को बेखुबी समझा है आपने ।
शायद कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोया है आपने,
फिर भी खुशकिस्मत हैं आप क्योंकि राम जैसा पति जो पाया है आपने ।।

दुआ है सफर आप दोनों का सुहाना हो,
मन चाहा मीत मिले ।
और शायरी तभी मन को भाये,
जब सुर को संगीत मिले ।।

                                             :- कुँवर अवधेश शेखावत (धमोरा)

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