Sunday 1 June 2014

A tribute to late Er. Pradeep Shekhawat...

यार हमारा,
था सबसे प्यारा,
कहां खो गया वो,
ढूंढे उसे ये जहां सारा ।


हंसता हंसाता था वो,
सबका मन लगाता था वो,
कभी सपने बड़े बड़े दिखाये,
कभी यूं ही रातों जगाता था वो ।


अपने पास क्यों तूने उसे बुलाया,
क्यों यूं तूने हमें रूलाया,
दूर हुआ जबसे है यार हमारा,
झूठा लागे है ये संसार तुम्हारा ।


न परवाह थी किसी कल के आने की,
आज में ही जिया करता था वो,
न थी ख्वाहीसें मंजिलों को पाने की,
बस राहें बनाना सिखाया करता था वो ।


सबका प्यारा था वो,
यार हमारा था वो,
ना बिछडा़ है
ना कभी बिछडे़गा वो ।


उसकी यादों में जिंदा है वो,
हमारी बातों में जिंदा है वो
उसके किये वादों में जिंदा है वो,
मेरे इरादों में जिंदा है वो ।


miss u so much dear,,, Your body is not alive today but you always live in our hearts.


:- कुँवर अवधेश शेखावत (धमोरा )

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