Sunday 9 February 2014

!! Dadicated to Vidhya Bharti School, Sikar !!

अकसर उन दिनों की यादें मुझे रुला जाती है,
जाता हूँ जब भी सीकर याद विद्या भारती की बहुत आती है ।
वो मेरा गौरव व मुरारी को सताना,
रुठे दोस्तों को पंकज का मनाना ।

वो अशोक सर की बाईक की सवारी,
वो संगीता, ट्रिंकल और स्नेहा की यारी ।
कभी मेरा निशा से झगड़ा तो कभी रोहित कुमावत से लफङा ।
वो क्लास की मस्ती और निशा व रोहित से फिर दोस्ती ।
वो महेश का मुझे समझाना,
पढले भाई ये समय वापस ना आना ।
वो मेरा राजपूत होस्टल में रहना,
कभी अनुज-अजय का तो कभी किसी ओर का मिलने आना ।

वो निशा का गुस्सा वो दिपीका का रौब,
और हमारा दोस्तों के साथ पार्टीयां करने का शौक ।
वो हनी का लव गुरु बनना
और कुछ दोस्तों का प्यार में पड़ना
अरे प्यार नहीं रे UPSC का इम्तेहान था,
किसी का भी क्लीयर नहीं हुआ साला ।

शोभीत व शहजाद के वो dialog और रोहित सांवलका की comedy
सोचते थे कभी-२ यूँहि चलती रहे मस्ती और भाड़ में जाये study
रक्षा हमेशा ही क्न्फ्यूज रहती
कभी arts लेती तो कभी फिर commerce में आ जाती ।
किसी लड़की को देख दोस्तों को "तेरी भाभी/तेरी बहन बोलकर चिडाना,
तो कभी सबके साथ मिलकर शिक्षक दिवस व बाल दिवस की शोपींग करके लाना ।

वो संजू व पिंकी की overacting
और वो लड़कों की missunderstanding
वो कोमल व कविता simplysity
और रुपा व निकीता की sincerity
वो स्नेहा का लड़कों से बात ना करना,
और लड़कों का उसकी इसी अदा पर दिवाना हो जाना ।
कक्षा में पिंकी को पथरी का दर्द आना,
और अचानक सबका डर जाना ।

सबके दिल के करीब थे account वाले विजेन्द्र सर,
और अगर सपने में भी किसी के आ गये PTI जी तो लगता था बड़ा डर ।
लड़के लड़की की दोस्ती में रमा मैम बनी थी कांटा
और फिर PTI सर का पड़ता जोरदार चांटा ।
वो मुरारी की पेंट और श्रीपाल का सेंट
वो मेरा 7 में से 4 दिन स्कुल जाना,
और फिर भी कक्षा में निंद लेते रहना ।
मेरा और मुरारी का होस्टल छोड़ room पर रहना
Room पर अकसर अजय,अनुज,रणजीत व महेश का आना
और वहीं मोहित,प्रमोद व बनवारी के साथ गप्पें लड़ाना ।

वो मेरी बकवास और full on timepass
वो हनी के suggestion और मेरे rejection
वो संजू की नाराजगी और थोडी देर में वापसी
वो विनायक का काफी-सोप
और मन में किसी के देख लेने क खोफ ।

वो मुरारी का समझाना व मेरा समझ ना पाना
और मेरा मधुसुधन व बनवारी के साथ पैदल खाटुश्यामजी जाना
वहाँ सबके जूते खो जाना ।
वो छोटी सी बात पर विक्रम व रवी से झगड़ा होना
और बात पुलिस केस तक पहुँच जाना
फिर भी हमारी वापस से दोस्ती हो जाना
वो बिना काम रवी के साथ जयपुर आना
और 2 दिन मस्ती करके वापस लौट जाना ।

वो आकाश के घर का उपर वाला कमरा
वहां बैढकर इस तरह से बातें करना जैसे हो पुरा सीकर हमारा ।
वो संजू, निशा व दिपीका का इतराना
और हमारा हार जाना ।
वो संगीता की hight
और वो दोस्तों की आपस मे fight
कभी class test में top आना तो कभी पीछे बैठकर teachers की खिल्ली उड़ाना
दिन भर हर तरह से मस्ती करना,
फिर भी मुरारी को best student का award मिल जाना ।

वो बलवन्त सर के suggestion
और वो marks ज्यादा लाने का competition
सबकी कोशिश गौरव से जीतने की
और नतीजा हार का ।

हर रोज समझाते रहते थे मुझे गांधीजी सर
कि पढले बेटा कक्षा में फालतू की नेतागीरी ना कर
वो प्रकाश,ट्रिंकल व दिपेश से मेरा बहन वाला प्यार
क्या खुब जमेगा रंग जब फिर से हम सब मिलेंगे यार 

वो संदीप और राहुल की चुप्पी
सच में यार उन दिनों हम थे कितने हैप्पी
कभी शर्माजी की oyes व उधार का सामान
तो कभी मिलन के मिठ्ठे पकवान ।

वो कुछ खट्टी सी और मिट्ठी सी यादें
और वो Lunchtime की बातें याद आती है
जाता हूं जब भी सीकर याद विद्या भारती की बहुत आती है 

Missing my School days and buddies..... god bless u all much love & respect...

                                                            :- कुँवर अवधेश शेखावत (धमोरा)

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